कुदरत की देन

कुदरत की कोख में  समाए कितने अनमोल रत्न हैं   एक बार चार दीवारी से बाहर झांक कर तो देख  थोड़ा करीब आकर तो देख   चित्त शांत और मन…

पापा 

उंगली पकड़कर चलना सिखाया था आपने  चलना गिरना  गिरकर सँभलना सिखाया था आपने  भूली नहीं हूँ मैं कुछ भी पापा  हर सीख याद है मुझे  मुश्किलों का डटकर सामना करना …

ओ मेरे हमसफ़र!

ओ मेरे हमसफ़र माना बहुत लंबा है यह सफर  पर सायां बन संग चलना यूँ ही  तो पल में कट जाए यह सफर   राह में आएँगी मुस्किलें हज़ार  किस्मत…

नन्ही सी गुड़िया 

आज फिर घर के आँगन में दस्तक हुई  किसे के नन्हें कदमों की आहट से हुई  दरवाज़ा खोल देखा  फिर चहकी थी एक नन्ही सी चिड़िया  आई मेरे आँगन एक…

माँ 

तेरी आँचल को थामे  पूरा जहाँ मैं घूम आती थी  तुझे याद है ना माँ  शाम जब ढल जाए  थक के चूर तेरी गोद में  सुकून से सर रख लिया…

लहरों की पुकार

लहरों की पुकार सुन  इसके एक इशारे पर  खींची चली आती हूँ आज भी इसकी ओर बैठ कभी घड़ी दो घड़ी लहरों की गिनती में  खो जाती हूँ यादों के…

कलाकार

कलाकार हूँ मैं  कल को निखार दूंगी यह वादा है मेरा  अपने कलम की रफ़्तार से  कल को सँवार दूंगी    कहानीकार नहीं कहानी हूँ मैं  दिल में उठते अनगिनत…

जंगल

चले ले चलूँ तुझे जंगल की एक सैर कराने  वन में बसे जीव-जंतु से मिलाने  कहीं शेर की दहाड़ कहीं नागराज की पुकार कहीं भेड़िए की चीख तो कहीं हाथी…

इजाज़त 

अकेला है तो क्या हुआ इंतजार किसका है एतबार किसका है तन्हाई की महफ़िल में खुद को गले लगाए जा हाथ पकड़ अपने साएँ का आगे कदम बढ़ाए जा क्यों…

हिमालय

दुश्मनों की ताक में पुरातनकाल से जाग रही है इसकी आँखें  देश की सुरक्षा में कोई विपदा ना आए इसीलिए हो खड़ा पहरेदार सा हर वादा कर रहा है अदा…