आसमान

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आसमान के भी हैं हज़ारों रंग 

कभी गहरा नीला तो कभी सूरज की लालिमा सा बिखरा 

गमगीन नहीं 

हर मौसम के साथ बदलता है रंग 

कभी बादलों की लिये टोली 

खेले ये आँख मिचोली 

सावन में देखो 

इस की पलकें भी है नम 

पर भीगे दामन में भी 

है सँजोए सात रंग 

 

शाम ढले 

देख चकित हुआ मन 

क्षितिज पर बिखरा हुआ था अनेक रंग 

पूछा अंबर से 

अब तो रात हो रही है 

फिर ढलने से पहले ये रंगों का मेला कैसा 

अंबर हँसा 

कहा 

अंधेरे से पहले सन्नाटा कैसा 

ढलने से पहले ही ढलना कैसा 

अंबर की ये बातें सुन 

हैरान हुआ मन 

जब सर उठाकर देखा 

नभ के टिमटिमाते तारे बोले 

आसमान के सारे राज़ खोले 

सिर्फ़ हमें ही नहीं 

इसने आँचल में सारे पहरों को है समेटा 

मौसम की रंगत को है लपेटा 

है शामियाना ये पूरे ज़ग का 

तभी तो कहते हैं 

शामोसहर सर पर पहरा है आकाश का 

आज़ भी चल देता हूँ 

नंगे पैर दौड़ जाता हूँ 

कहीं दूर नील गग़न में 

रात की चादर तले 

आसमान की बाँहों में 

सितारों की महफ़िल में 

सपनों की बस्ती में 

उमीद का दामन थामे 

कोशिशों का ज़ामा पहने 

मंज़िल की तलाश में 

बस इसी आश में 

कुछ और ना सही 

हीरे मोती ना सही 

चाँद सितारे ना सही 

मुट्ठी भर आसमान तो हाथ आए 

मुट्ठी भर आसमान तो हाथ आए 

Rashmi Jain

Hi, I'm Rashmi. I'm here to experiment, explore, experience and express life and would like my readers to embark on this journey of Words along with me. Let's believe in the magic of Words.

This Post Has 10 Comments

    1. Rashmi

      Thanks a lot 🙂

    1. Rashmi

      Thank you Shipra ?
      Would love to be connected.

  1. Aslam Khan

    Lovely, I really wonder how can you write with such great imagination. Creatively done. Loved it

    1. Rashmi

      Agree, imagination has a great power. Thanks a lot Aslam for your kind words.

    1. Rashmi

      Thank you Rashi ?

    1. Rashmi

      Thank you Archana for the read ?

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